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तुम वो नही .............

तुम वो नही जिसकी मुझे ....तलाश थी। 
तुम न रहे वो; 
जिसकी मेरी निगांहों को प्यास थी।

बदल गयी हो तुम गैरों की तरह;
न रहे तुम वो ............
जो मेरे लिए ख़ास थी।

हमराज़ बन हर राज़ छुपाया तुमने 
नही वो तुम ............
जिससे मुझे वफ़ा की आस थी।

तोड़ दिया है तुम ने मेरे यकीन का दरपन 
न बन सके तुम वो .......
जो मेरा अटूट विश्वास थी।

तुम वो नही जिसकी मुझे ....तलाश थी। 


रौशनी का काफ़िला तेरे साथ चल रहा है,
तू परछाइयों की परवाह ना कर

हमसाया बन तेरा साथ दूँगा उम्रभर
तू  किसी और के साये की परवाह ना कर

दीपावली शुभ हो

मैं तनहा रह गया

मुस्कराहट की वजह बनाना था जिसे 
वो आंसुओ की वजह बन कर रह गया 


इंतजार मे जिस वर्षा के जाने कितने ही सावन,
वो बरसा इस कदर की सब कुछ बह गया 

था मै तनहा पहले भी, तुम्हारे आने से 
जाने क्यों तुम्हारे जाने से फिर मैं तनहा रह गया .................