तुम वो नही जिसकी मुझे ....तलाश थी।
तुम न रहे वो;
जिसकी मेरी निगांहों को प्यास थी।
बदल गयी हो तुम गैरों की तरह;
न रहे तुम वो ............
जो मेरे लिए ख़ास थी।
हमराज़ बन हर राज़ छुपाया तुमने
नही वो तुम ............
जिससे मुझे वफ़ा की आस थी।
तोड़ दिया है तुम ने मेरे यकीन का दरपन
न बन सके तुम वो .......
जो मेरा अटूट विश्वास थी।
तुम वो नही जिसकी मुझे ....तलाश थी।