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बेवफ़ा यार
















निगाह फेरने का हुनर तुमको खूब आता है,

तारीख़ गवाह है हुस्न और वफ़ा साथ कब रह पाता है


यकीं था मुझको..

बदलेगा तू वक़्त के हाथों मजबूर हो कर

मालूम ना था मौसम के मानिंद, 

तू पल में इस तरह बदल जायेगा।


जो थकते नही थे ..2

प्यार की कसमें खा—खा कर,

वो महबूब, मेरी मुहब्बत का सर

अपने पैरों से कुचल कर जायेगा।


चलो अच्छा हुआ ....2

मेरा भरम तो टूटा,

थोड़ा वक़्त गुजरा है, 

बाकी भी गुजर जायेगा।


मुहब्बत की लाश कांधें पर रख कर..2

बता कि तू कितनी दूर और जायेगा।


मैं तो अपनी पाक—मुहब्बत का हवाला दे दूँगा,

तू बता मालिक को कयामत पे क्या मुँह दिखायेगा?


सतगुरू

26 मार्च 2018

बेवफ़ा सहर

बेवफ़ा सहर











तेरी यादों का चराग़ थाम हाथों में, इंतज़ार हम सहर का करते रहे।
ना थमा तेरी यादों का कारवां, ना वो बेवफ़ा सहर आयी।।

पत्थर के सनम



दिल पत्थर यह दुनिया पत्थर,
पत्थर के हो गये सनम।
हंसी लबों की सबने देखी,
ना देखी थी आँखें नम।

दिल पत्थर यह दुनिया पत्थर,
पत्थर के हो गये सनम।

हम भी अब पत्थर के बन गये,
मन के ताप से सपने जल गये।
अरमां उड़ गए बन के शबनम,
दे गयी मुझको आंखें वह नम।

दिल पत्थर यह दुनिया पत्थर,
पत्थर के हो गये सनम।

काश की दिल पत्थर का होता,
कभी किसी का दिल ना रोता।
काँच के जैसे बात-बात पर,
टूट-टूट न सपने खोता।

दिल पत्थर यह दुनिया पत्थर,
पत्थर के हो गये सनम।

सनम ना होते, रंज ना होता
धोखे का तब तंज ना होता
सब कुछ होता इस जहां में,
मगर-बेवफा सनम ना होता।

दिल पत्थर यह दुनिया पत्थर,
पत्थर के हो गये सनम।

सतगुरू
15/02/2018