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प्यार के किस़्से.....


प्यार के किस़्से अब पुराने हो गए,
मिलते नही अब हीर-रांझा, कितने जमाने हो गए।

हम-तुम दो बदन इक जान थें,
वो दिले-जज़्बात अब, फ़कत अफसाने हो गए।

जरुरी तो नही कि प्यार जाहिर ही किया जाए,
कुछ तो कहती थी मेरी निगाहें, कि अल्फ़ाज़ खामोश तराने हो गए।

मिलती कहाँ हैं अब निगाहें, जिनमें वफ़ा का दीद हो,
पिला दे साकी बेखुदी तक, कि नशीले-नयन पैमानंे हो गए।

बहोत कहना था मुझको,....2
कभी सुन न पाये तुम, कभी कह न पाये हम,
जाने भी दो अब, कि सब किस्से पुराने हो गए।

प्यार के किस़्से अब पुराने हो गए,
वो दिले-जज़्बात अब, फ़कत अफसाने हो गए।

सतगुरू
24.06.2018