मत हिम्मत तू हार पथिक,
पथ मेें कई बहार पथिक।
घनघोर है कारी रात तो क्या?
देखो आगे भोर खड़ी; ले सूरज का हार पथिक।
माना की पथ बड़ा विकट है!
संघर्ष है जीवन का सार पथिक।
तपा नही जो कनक ताप में,
क्या वह कुन्दन-हार पथिक?
उठो बढ़ो और हिम्मत बाँधों,
यूँ ही मत जाओ.. हार पथिक।
मानव जीवन मिला भाग्य से,
जाए न बेकार पथिक।
मत हिम्मत तू हार पथिक,
पथ मेें कई बहार पथिक।
सतगुरू शर्मा (मासूम)