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पथिक


मत हिम्मत तू हार पथिक,
पथ मेें कई बहार पथिक।


घनघोर है कारी रात तो क्या?
देखो आगे भोर खड़ी; ले सूरज का हार पथिक।


माना की पथ बड़ा विकट है!
संघर्ष है जीवन का सार पथिक।


तपा नही जो कनक ताप में,
क्या वह कुन्दन-हार पथिक?


उठो बढ़ो और हिम्मत बाँधों,
यूँ ही मत जाओ.. हार पथिक।


मानव जीवन मिला भाग्य से, 

जाए न बेकार पथिक।

मत हिम्मत तू हार पथिक, 

पथ मेें कई बहार पथिक।

सतगुरू शर्मा (मासूम)

सावन की आमद


रिमझिम घटा छाई,
भरे ताल-तलैया, खढ्ढे
फुदक-फुदक गौरैया देखो खूब नहाई


मुन्नी मुडेर पर भागी
चंद बूँदें बारिश की
नन्ही हथेली पर चुरा लाई।


सौंधी महक माटी की
हर गली हर तरफ है सुहाई


पपिहा बैठ पेड़ पर
कोयल संग तान लगाये।
काका चैपालों में देखो
राग मल्हार सुनायेें।

सतगुरूमासूम