dil ki duniya guru
यादों का कांरवां मासूम गुरू लखनवी के साथ
Search This Blog
है नये वर्ष की आमद
हवा सर्द-सर्द है, जमीं में थोड़ी नमी है।
रगों में उबाल है, ना जोश में कमी है।।
है नये वर्ष की आमद, नव-चेतना का वास है।
घड़ियाँ थोड़ी मंद है, सुइंयाँ कुछ थमीं सी हैं।।
चेहरें कुछ खिले से हैं,
दोस्त पुराने कुछ मिले से हैं।
पुराने जख़्मों को शायद मरहम मिला है,
बीत गया न उससे कोई.. गिला है।।
नये साल से उम्मीद का ये तोहफ़ा मिला है,
न मिला सका जो उसका थोड़ा सा गिला है।
कोई रूका है अब तक जो ये वक़्त रूक जायेगा?
ये तारीख़ों का अपना पुराना सिलसिला है।।
सतगुरू
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)
मसीहा
एक जलता हुआ दिया अक्सर मुझसे कुछ कहता है हर तूफां में एक मसीहा रहता है फूलों में रंग, जल में तरंग खुशबू बन हवा के संग-संग वही तो...
बाबा की बिटिया
बाबा की मैं प्यारी बिटिया, घर की मैं नन्हीं सी चिड़िया, मुझसे ही गुलजार था अंगना, फिर क्यों भेजा अंजाने संग, कह कर अब, तेरा है सज...
तेरी नाराजगी ...........
तेरी नाराजगी; जो मुझको पल भर भी नही भाती है, ग़र भुलाना भी चाहूँ; तेरी याद है कि आ ही जाती है। माना की मैं गुनाह-गार हूँ, अब तेरी ...