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मसीहा

एक जलता हुआ दिया अक्सर मुझसे कुछ कहता है 
हर तूफां में एक मसीहा रहता है 


फूलों में रंग, जल में तरंग 
खुशबू  बन हवा के संग-संग 

वही तो ..... मंद-मंद बहता है 
हर तूफां में एक मसीहा रहता है 

डूब रहा जो मजधार में 
तिनका बन बस;
उसके लिये ही जो बहता है 
हर तूफां में एक मसीहा रहता है 


एक जलता हुआ दिया ..... ... ..... ..... .... 





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