सावन आया पर तुम ना आए
बरखा आई घनघोर घटा लाई
पर...
पर तुम ना आए
सावन बरसा.. झूम-झूम कर
मन मयूर तरसा, घूम घूम कर
भीगा घर-आंगन और भीगा है तन
सूखा था... सूखा रह गया, मेरा प्यासा मन
सावन आया पर तुम ना आए
नयनो ने नीर, खूब बरसाए
बादल गरजे; हमें डराऐ
सावन आया पर तुम ना आए
यादों के बादल हम पर ही
बरस-बरस जाए
सावन आया
पर तुम क्यों ना आए??
सतगुरु
०३ / ०८ / २०१९