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एक निगाह तुम्हारे साथ है____

मैं रहूँ कहीं
एक निगाह तुम्हारे साथ है।
हर मुश्किल में यकीनन थामेंगा जो तुम्हें,
हो न हो वो सिर्फ मेरा ही हाथ है।।

जाते देख तुम्हें, कुछ ना बोला मैं
देखते पलटकर मेरी आँखों में;
वो पानी की बूँदें नही
मेरे जज़्बात हैं।

मैं खड़ा हूँ अब भी उसी दो राहे पर
लौटोगे इक रोज तुम...
लौटोगे इक रोज तुम...तो होगा दिन,
नही तो अब बस.. हर जगह रात है।

मेरी कलम से
सतगुरू