dil ki duniya guru
यादों का कांरवां मासूम गुरू लखनवी के साथ
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है नये वर्ष की आमद
हवा सर्द-सर्द है, जमीं में थोड़ी नमी है।
रगों में उबाल है, ना जोश में कमी है।।
है नये वर्ष की आमद, नव-चेतना का वास है।
घड़ियाँ थोड़ी मंद है, सुइंयाँ कुछ थमीं सी हैं।।
चेहरें कुछ खिले से हैं,
दोस्त पुराने कुछ मिले से हैं।
पुराने जख़्मों को शायद मरहम मिला है,
बीत गया न उससे कोई.. गिला है।।
नये साल से उम्मीद का ये तोहफ़ा मिला है,
न मिला सका जो उसका थोड़ा सा गिला है।
कोई रूका है अब तक जो ये वक़्त रूक जायेगा?
ये तारीख़ों का अपना पुराना सिलसिला है।।
सतगुरू
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