dil ki duniya guru
यादों का कांरवां मासूम गुरू लखनवी के साथ
Search This Blog
तेरी यादों के साथ जा बैठे...
चार-पल जो हुए तन्हा!
तेरी यादों के साथ जा बैठे...
उम्र-ए-तमाम का मर्ज़ है ये यारों
बरा-ए-दर्द हम सब कुछ लुटा बैठे।
सुकूं की चाहत लिए...
कुछ लम्हा तिरे साथ क्या चले...2
तमाम उम्र का सुकूं,
बस यूं ही गवां बैठे।
अब तो तेरी याद है... और तन्हाई है
कभी रोये उनके साथ, कभी मुस्कुरा बैठे।
अजीज़ है.. तेरा ग़म भी हमको...2
कि यूं ही नही हम,
तन्हाई से हाथ मिला बैठे।
ना पाने की कोई जुस्तुजू बाकी
ना कोई अब खोने का मलाल है।
बस यादों का साथ, रह गया बाकी,
उनसे ही कारवां सजा बैठे।
सतगुरू शर्मा
15/04/2023
No comments:
Post a Comment
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मसीहा
एक जलता हुआ दिया अक्सर मुझसे कुछ कहता है हर तूफां में एक मसीहा रहता है फूलों में रंग, जल में तरंग खुशबू बन हवा के संग-संग वही तो...
बाबा की बिटिया
बाबा की मैं प्यारी बिटिया, घर की मैं नन्हीं सी चिड़िया, मुझसे ही गुलजार था अंगना, फिर क्यों भेजा अंजाने संग, कह कर अब, तेरा है सज...
तेरी नाराजगी ...........
तेरी नाराजगी; जो मुझको पल भर भी नही भाती है, ग़र भुलाना भी चाहूँ; तेरी याद है कि आ ही जाती है। माना की मैं गुनाह-गार हूँ, अब तेरी ...
No comments:
Post a Comment