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कहते है लोग मैं दीवाना हूँ



अधूरी मोहब्बत का अफ़साना हूँ,
भरी भीड़ में इक बेगाना हूँ।
है साथ तेरे यादों की मस्ती
कहते है लोग मैं दीवाना हूँ।।


दीवाली की रात है
दियों की बारात है
खुश है जो अंधेरों में,
मैं वही आशियाना हूँ।


है हसरत-ऐ-जिंदगी 
बस फ़कत इतनी
तेरी चाहत में जान जाए
बस वही परवाना हूँ।


दर्द में सुकूं की... 
तलाश लिए फिरता हूँ।
कोई बताए उनको
ऐसा सिफ़त-ए-दिल मस्ताना हूँ ।


Satguru Sharma

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